हाल में ही भारत के चिकित्सकों एवं चिकित्सा-छात्रों द्वारा गाँवों में काम करने का विरोध किया गया। यह अत्यन्त निन्दनीय है और इसका विरोध होना चाहिये। किन्तु इससे अधिक आवश्यकता भविष्य में चेतने और सम्यक योजना बनाने की है कि ऐसी स्थिति ही निर्मित न होने दी जाय।
इस सन्दर्भ में मेरे कुछ सुझाव हैं:
०) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों का बाकायदा 'ग्रामीणविद्यालय'के रूप में चिन्हित किया जाय।
१) इन विद्यालयों में पढ़े विद्यार्थियों को मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिये कम से कम ५०% काआरक्षणहो।
२) इस आरक्षण के विरुद्ध उनसे शपथ-पत्रभरवालियाजायकि उन्हे ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम १० वर्ष तक सेवा देनी होगी।
३) ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के बदले उन्हें 'असुविधाबोनस'दिया जाय।
४) इसी तरह की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाने के लिये अध्यापकों के लिये की जा सकती है।
मेरा मानना है कि भारत में सबसे पहले दो ही 'वर्ग'हैं: शहरीऔरग्रामीण। अन्य वर्ग इसके बाद आते हैं।