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अंग्रेजी में काम न होगा, फिर से देश गुलाम न होगा

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मुझे इसमें कोई शक नहीं कि भारत का पूरा तंत्र 'भारतघातियों'के हाथ में चला गया है जो बड़ी चतुराई से देश को लगभग पुनः गुलामी के राह पर ढकेले जा रहे हैं। संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षाओं में अंग्रेजी का एकाधिकार और हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं का पूर्णतः लोप करने की घोषणा इसका ताजा उदाहरण है। भाई, इन नौकरशाहों की जाँच इस बात के लिए होनी चाहिए की ये आम जनता से संवाद करने की कितनी योग्यता रखते हैं और इसके लिए इनको हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। अंग्रेजी का केवल सामान्य ज्ञान भी इस काम के लिए पर्याप्त है। दूसरे स्वाभिमानी देशों (चीन, जर्मनी, फ्रांस, इजराइल, कोरिया, जापान, रूस आदि) का हमारे सामने उदाहरण है।

संसद में इस पर विरोध हुआ है। यह बहुत अच्छी बात है। देश की आम जनता और विशेषतः विद्यार्थी वर्ग को भी इसे किसी हाल में स्वीकार नहीं करना चाहिए और इसका जबरजस्त विरोध होना चाहिए।  इस देश में विदेशी नेता 'प्लांट'किए जा रहे हैं, इस देश में विदेशी भाषा की जड़ को सींचा जा रहा है और अपनी भाषाओं की जड़े काटी जा रही हैं, इस देश में विदेशियों के हित के नियम बनाए जा रहे हैं और इस देश में भ्रष्टाचार और काले धन को हटाने की नीतियां बनाने की मांग करने वालों का जीना हराम किया जा रहा है।

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